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Saturday, February 9, 2019

HEALTH CARE

सेहत एक अमूल्य सम्पदा है  सेहत के बिना सब सुख समृद्धि नीरस सी लगती है.

           

               

कहिये कैसे हैं आप. 

हर समय हम सब सोचते हैं कहीं स्वास्थ्य बिगड़ ना जाये. हर वक़्त इसी कश्मकश में रहते हुये भी हम सब सेहत का ध्यान नहीं रख पाते हैं. 

आज मैं इसी विषय को चर्चास्वारूप प्रस्तुत कर रही हूँ .

सेहत का बिगड़ना एक दिन के प्रतिक्रिया के फलस्वरूप नहीं होती है .काफी समय पहले से शरीर के अंदर प्रतिक्रिया होती रहती है .जागरूकता के अभाव में यह समझ के परे हो जाते हैं. 

                              
हम सभी इस बात से अवगत हैं की हमारा शरीर पंचतत्व और सात चक्रों से बना एक संरचना है जिसमे जल तत्त्व वायु तत्त्व अग्नि तत्त्व पृथ्वी तत्त्व और आकाश तत्त्व का समिश्रण है 

जब इन तत्वों के साथ अपने सहूलियत के अनुसार तत्वों के वास्तविकता से अलग वर्ताव करते हैं तो आंतरिक रूप से हम बीमार होना शुरू हो जाते हैं .

हमारे चक्रों के साथ भी ऐसा ही कुछ होता है.

आयुर्वेद के तरफ देखे तो हमारा शरीर वात पित्त कफ का समायोजन में फेर बदल से हम बीमार होते हैं. मेडिकल जगत अपनी वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार सेहत का आंकलन करता है .

सेहत का विस्तृत ज्ञान इन्ही सब सूत्रों के अधीन आता है.

कुछ सरल शब्दों में जानने का प्रयास करते हैं. सेहत का ध्यान कैसे रखें 
सरल शब्दों में सेहत का मापदंड दो अस्तरों पर कर सकते हैं .

1  मानसिक सेहत

2  शाररिक सेहत

मानसिक सेहत :-

बाहरी सेहत अच्छा हो या बुरा सबको दीखता है लेकिन मानसिक सेहत का अनुमान लगाने के लिए थोड़ा प्रयासों की जरुरत होती है  

आम तौर पर मानसिक सेहत का जुड़ाव पागलपन से करते हैं  

मगर यह यथार्थ नहीं है .

मानसिक रूप से हम सभी किसी ना किसी रूप से बीमार हैं .

जैसे की कोई भावनात्मक रूप से बीमार है .कोई अपने अहंकारों के वशीभूत है  

कुछ प्रयासों से हम मानसिक सेहत को सुदृढ़ कर सकते हैं. 

1  तनाव रहित जीवन जीने की कोशिश करें .तनाव मानसिक पटल पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. 
अपनी हर परिस्तिथि को संभालने का प्रयत्न करें .तनाव जीवन का हिस्सा तब बनता है जब हम अपनी परिस्थितिओं को संभालने में असफल हो जाते हैं. 

2  भावनात्मक रूप से मजबूत बनने का प्रयास करें .किसी भी सुखद या फिर दुखद परिस्तिथियाँ विचारों में उथल पुथल सुख दुःख की अनुभूति ही भावनात्मक परिष्तिथियों को जन्म देती है जो आपके मानसिक सेहत को समय समय पर प्रभावित करता है. 

3  अपने को अध्यात्म से जोड़ें .अध्यात्म को अपने जीवन का एहम हिस्सा समझें .जब किसी कार्य को केवल कर्म तक सिमित रखते हुए सम्पन्न करते हैं तो बहुत सारे नकारत्मक विचारो से परे हो जाते हैं और खुद को हल्का महसूस करते हैं .

4  हमेशा सकारात्मक सोचें .सकारात्मक सोच मानसिक सेहत के लिये औषधी स्वरुप है. जिसे अपने जीवन में अपनाके अनेक प्रकार की मानसिक समस्याओं से निजात पा सकते हैं. 

शाररिक सेहत 

भाग दौर के माहौल में हम सभी लक्ष्य की ओर ही देखते हैं और उसे पाने की होर में शारारिक सेहत पीछे छूट जाती है .

आज के भारत का आंकड़ा देखा जाये तो प्रत्येक आयु वर्ग के व्यक्ति किसी ना किसी बीमारी से ग्रस्त है .

यदि कुछ निर्देशों को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बना लें तो अपने लक्ष्यों के साथ सेहत को भी संभाल लेंगे. 

1  सूर्योदय के पूर्व जागने का प्रयास करें .यह बहुत छोटा और सरल उपाय है सेहत को सुधारने के लिए. साश्त्रों में वर्णित है सूर्य की पहली किरण में बहुत सारि शक्तियां होती है जो हमें बिमारिओं से लड़ने में सक्षम बनाती है. 

2  तीस मिनट का व्यायाम प्रतिदिन करें. व्यायाम करने से शरीर के कोशिका रक्तधमनिआ मांसपेशी सुचारु रूप से काम करने में सक्षम होती है .शरीर का रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है. 

3  अपनी खान पान को संयमित करें .अक्सर खाना तो खा लेते हैं लेकिन खाने का पोषक तत्त्व नहीं मील पाता है .जिसका कारन है की खाने को अच्छी तरह से चबाते नहीं हैं .खाना हमेशा ताजा खाएं .खाना खाने के एक घंटा बाद पानी पियें जिससे खाना पचने में आसानी हो  

4  खाना को अध्यात्म से जोड़ें. यानि खाना लेने से पहले एक मिनट रुक के अपनी सकारात्मक सोच से देखे  जैसे की इस भोजन को करने से मैं पूर्ण रूप से स्वस्थ होऊंगा. तत्पश्चात भोजन ग्रहण करें  सप्ताह के अंदर खुद फर्क महसूस होगा .


मानसिक सेहत और शारारिक सेहत आपस में एक दूसरे का पूरक है .जब हम दोनों को साथ ले चलते हैं तभी सही मायने में हम स्वस्थ हैं. 

अपनी सेहत के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करें. 

धन्यवाद

अगले ब्लॉग में फिर एक नये विषय के साथ आउंगी .

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