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Sunday, February 24, 2019

SOUL POWER


आंतरिक ऊर्जा व्यक्ति के व्यक्तितव का वो हिस्सा है जो सर्वांगिणी विकास में योगदान देता है. आंतरिक ऊर्जा मानव को मानवता से जोड़े रखता है .

कहिये कैसे हैं आप सब .
जन्म के साथ यदि कुछ साथ आता है वह है आंतरिक ऊर्जा .जब व्यक्ति सृष्टि के संपर्क में आता है आंतरिक ऊर्जा से पूर्ण होता है .

उम्र क्रम के पड़ाव से गुजरते हुये आंतरिक ऊर्जा कहीं ना कहीं घटने लगती है .

आंतरिक ऊर्जा एक ऐसी अपार ऊर्जा है जो व्यक्ति के संपूर्ण विकास का सहभागी बनता है. 

बिना आंतरिक ऊर्जा के कोई भी व्यक्ति अपने व्यक्तितव को निखार नहीं सकता .

जरुरत है उन ऊर्जाओं को पहचानने की :- 

चारो तरफ ही नकारात्मक बाताबरण नकारात्मक सोच आंतरिक ऊर्जा को दबा देता है . जैसे सफ़ेद चादर को मैल ढक देता है. उसी तरह आंतरिक ऊर्जा भी नकारात्मक चादर से ढक जाता है. 

आंतरिक ऊर्जा को कैसे बचाएँ :-

उम्र के पड़ाव में व्यक्ति जानकर या अंजाने में बहुत सारि ऐसी गतिविधियों का हिस्सा बन जाता है जिससे आंतरिक ऊर्जा छीन हो जाती है. 

अपने सही सोच सत्कर्म भावनाओं की गति में ना बहकर इस ऊर्जा को बचा सकते हैं. अध्यात्म से जुरकर भी ऊर्जा को बढ़ाया जा सकता है. जीवन में कर्म की प्रधानता भी आंतरिक ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करती है. 

तात्पर्य यह है अपनी मन कर्म वचन को आधार बनाते हुये चिंता रहित कर्म की ओर बढ़ना  

आंतरिक ऊर्जा से लाभ :-

1  व्यक्तितव में निखार :- आंतरिक ऊर्जा  व्यक्तितव के निखार का रामबाण इलाज है  कोई भी व्यक्ति कितना भी PERSONALITY DEVELOPMENT के नियम सिख ले   आंतरिक ऊर्जा के बिना सफल नहीं हो सकता है  

2  लक्ष्य की ओर बढ़ना :- हर व्यक्ति का जीवन किसी ना किसी लक्ष्य से ज़ुरा होता है. किसी को आसानी से लक्ष्य की प्राप्ति हो जाती है तो किसी को लक्ष्य की प्राप्ति में बाधाओं का सामना करना परता है. उस परिस्तिथि में आंतरिक ऊर्जा आपके आत्मबल को स्थिर रखने में सहायक सिद्ध होगा .

3  मूल्यों को समझना :- आंतरिक ऊर्जा अपने सोचने समझने निर्णय लेने की क्षमता को प्रगाढ़ करता है .आपके अंदर ठहराव लाता है. आशावादी नज़रिया देता है .अपने मूल्यों को समझने और उसे अपने जीवन में अमल करने की शक्ति देता है. 

4  सकारात्मक सोच :- आंतरिक ऊर्जा हर परिस्तिथियों में सकारात्मक सोच को जन्म देता है जिससे हर परिस्तिथि को आसानी से समझ सकते हैं. सही व गलत की आ जाती है .

आंतरिक ऊर्जा से सफलता आपके संमीप आती है .अपना व्यक्तितव दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत हो जाता है .परिवार समाज व देश के विकास में सराहनीय भूमिका का सहभागी बनाता है. आंतरिक ऊर्जा जीवन को संयमित और नियमित करता है जो सफलता पाने का मूल सूत्र है. आंतरिक ऊर्जा को अपने जीवन का हिस्सा जरूर बनाएं. 

धन्यवाद 
अगले ब्लॉग में नये विषय के साथ फिर उपस्थित होऊंगी .

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आपकी ज्योति 

jitutasu@gmail.com

Sunday, February 17, 2019

HOUSEWIFE PERSONALITY IMPROVEMENT



घरेलु महिलाओं का संपूर्ण जीवन त्याग बलिदान समर्पण का ही समिश्रण है. घरेलु महिलाएं हर रिश्तों, हर परिस्तिथियों को संभालते संभालते कहीं खो सी जाती है .

कहिये कैसे हैं आप .

HOUSEWIFE APNI PERSONALITY KO KAISEY IMPROVE करें यह आज का विषय है .

        HOUSEWIFE HOW TO IMPROVE PERSONALITY 


समय का बदलाव भी कुछ ज्यादा प्रभाव दिखा नहीं पाती है .रिश्तों को संजोने की कला में माहिर अपने व्यक्तित्व को संजोने की होर में पीछे रह जाती है .

समाज का बहुत बड़ा तबका घरेलु महिलाओं का है जिन्हे खुद के लिए समय नहीं होता है. परिस्तिथियों से समझौता ही उनका पहचान बन जाता है .
आज जानने की कोशिश करते हैं की घर की जिम्मेदारिओं के साथ खुद को कैसे निखारें. 
यानि घरेलु महिला से कुशल महिला कैसे बनें. 

महिलाओं के उत्थान के लिये सरकार के तरफ से भी बहुत सारि योजनाओं को लागु किया गया है .जिसका लाभ उठाकर महिलाएं अपने व्यक्तित्व को निखार सकती है. 
जैसे की ग्रामीण महिला छोटे छोटे रोज़गार स्वयं स्थापित कर सकती है .
शहरी घरेलु महिलाएं भी अपनी क्षमता के अनुसार नये तकनिकी का ज्ञान प्राप्त कर अपनी योजनाओं को नया रूप दे सकती है  

इन सुझावों को अपना कर भी घरेलु महिलाएं अपना विकास कर सकती हैं .

योजनाबद्ध करें : योजनाबद्ध होकर काम करें  अपने हर छोटे बरे कामों को सुनियोजित करें .चाहे घर की सफाई हो , बच्चों को विद्यालय छोड़ना हो या फिर कोई अन्य काम .
अक्सर महिलाएं सोचती हैं की हमें सुनियोजित होने की क्या अवयशकता है जब सही लगेगा कर लुंगी. 
ऐसा दृष्टिकोण अपना समय बर्बाद कर देता है .

खुशी का बहाना ढूंढें : जरुरी नहीं है की घर का कोई सदस्य उपलब्धि हासिल करेंगे तभी आप खुशी की अनुभूति करें .
खुद कुछ ऐसा करने की कोशिश करें जो आपको खुशी दे .जिसे करने में आपकी रूचि हो  

पोशाक का चयन :अक्सर महिलाएं पोशाक के चयन में गलतियां कर जाती है .दूसरों के कहने , दूसरों को देखकर पोशाक का चयन ना करें  जो आपके लिए आरामदायक हो जिसे पहनकर आपका आत्मविश्वास बढ़े उसी पोशाक को अपने पहनावे का हिस्सा बनावें .

व्यायाम : अपने दिनचर्या में व्यायाम को जरूर शामिल करें .जब शारीरिक रूप से आप तंदुरुस्त होते हैं तो आत्मविश्वास भी बढ़ता है और बीमार होने की संभावना भी काम होती है  

आर्थिक मजबूती : महिलाएं चाह कर भी अपने सपनो को फलीभूत नहीं कर पाती .इसके लिये खाली समय में अपनी योग्यता के अनुसार कुछ ना कुछ काम करें जो आर्थिक मजबूती को बढ़ाये .

बदलाव की तैयारी : बदलते दौर के साथ बदलाव को अपनाये .समय की मांग है नयी तकनीक से अवगत होना .जब आप कुछ नया सीखने को तैयार होंगे तभी कुछ नया कर पाएंगे  

भुलैया को माफ़ करें : जीवन गलतियों, बिफलताओं, उतार चढाव का गुना भाग है. गलतिओं से सीखना, माफ़ कर नयी शुरुआत करना बहुत जरुरी है  अक्सर महिलाएं इन्ही भूल भुलैया में उलझ कर रह जाती है. 

देश विकास के चरम सीमा पर है समय के साथ बदलाव भी आवश्यक है  अपने अस्तित्व को पहचाने  और अपने लिए कुछ करने का प्रयास करें. ऐसा करने से आपका परिवार भी गौरवान्वित महसूस करेगा. 
वैसे भी हर Soul अपना अपना सफर तय करता है .

धन्यवाद 

अगले ब्लॉग में नये विषय के साथ फिर लौटूंगी. कृपया शेयर जरूर करें .

मेरा पिछला ब्लॉग
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Saturday, February 9, 2019

HEALTH CARE

सेहत एक अमूल्य सम्पदा है  सेहत के बिना सब सुख समृद्धि नीरस सी लगती है.

           

               

कहिये कैसे हैं आप. 

हर समय हम सब सोचते हैं कहीं स्वास्थ्य बिगड़ ना जाये. हर वक़्त इसी कश्मकश में रहते हुये भी हम सब सेहत का ध्यान नहीं रख पाते हैं. 

आज मैं इसी विषय को चर्चास्वारूप प्रस्तुत कर रही हूँ .

सेहत का बिगड़ना एक दिन के प्रतिक्रिया के फलस्वरूप नहीं होती है .काफी समय पहले से शरीर के अंदर प्रतिक्रिया होती रहती है .जागरूकता के अभाव में यह समझ के परे हो जाते हैं. 

                              
हम सभी इस बात से अवगत हैं की हमारा शरीर पंचतत्व और सात चक्रों से बना एक संरचना है जिसमे जल तत्त्व वायु तत्त्व अग्नि तत्त्व पृथ्वी तत्त्व और आकाश तत्त्व का समिश्रण है 

जब इन तत्वों के साथ अपने सहूलियत के अनुसार तत्वों के वास्तविकता से अलग वर्ताव करते हैं तो आंतरिक रूप से हम बीमार होना शुरू हो जाते हैं .

हमारे चक्रों के साथ भी ऐसा ही कुछ होता है.

आयुर्वेद के तरफ देखे तो हमारा शरीर वात पित्त कफ का समायोजन में फेर बदल से हम बीमार होते हैं. मेडिकल जगत अपनी वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार सेहत का आंकलन करता है .

सेहत का विस्तृत ज्ञान इन्ही सब सूत्रों के अधीन आता है.

कुछ सरल शब्दों में जानने का प्रयास करते हैं. सेहत का ध्यान कैसे रखें 
सरल शब्दों में सेहत का मापदंड दो अस्तरों पर कर सकते हैं .

1  मानसिक सेहत

2  शाररिक सेहत

मानसिक सेहत :-

बाहरी सेहत अच्छा हो या बुरा सबको दीखता है लेकिन मानसिक सेहत का अनुमान लगाने के लिए थोड़ा प्रयासों की जरुरत होती है  

आम तौर पर मानसिक सेहत का जुड़ाव पागलपन से करते हैं  

मगर यह यथार्थ नहीं है .

मानसिक रूप से हम सभी किसी ना किसी रूप से बीमार हैं .

जैसे की कोई भावनात्मक रूप से बीमार है .कोई अपने अहंकारों के वशीभूत है  

कुछ प्रयासों से हम मानसिक सेहत को सुदृढ़ कर सकते हैं. 

1  तनाव रहित जीवन जीने की कोशिश करें .तनाव मानसिक पटल पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. 
अपनी हर परिस्तिथि को संभालने का प्रयत्न करें .तनाव जीवन का हिस्सा तब बनता है जब हम अपनी परिस्थितिओं को संभालने में असफल हो जाते हैं. 

2  भावनात्मक रूप से मजबूत बनने का प्रयास करें .किसी भी सुखद या फिर दुखद परिस्तिथियाँ विचारों में उथल पुथल सुख दुःख की अनुभूति ही भावनात्मक परिष्तिथियों को जन्म देती है जो आपके मानसिक सेहत को समय समय पर प्रभावित करता है. 

3  अपने को अध्यात्म से जोड़ें .अध्यात्म को अपने जीवन का एहम हिस्सा समझें .जब किसी कार्य को केवल कर्म तक सिमित रखते हुए सम्पन्न करते हैं तो बहुत सारे नकारत्मक विचारो से परे हो जाते हैं और खुद को हल्का महसूस करते हैं .

4  हमेशा सकारात्मक सोचें .सकारात्मक सोच मानसिक सेहत के लिये औषधी स्वरुप है. जिसे अपने जीवन में अपनाके अनेक प्रकार की मानसिक समस्याओं से निजात पा सकते हैं. 

शाररिक सेहत 

भाग दौर के माहौल में हम सभी लक्ष्य की ओर ही देखते हैं और उसे पाने की होर में शारारिक सेहत पीछे छूट जाती है .

आज के भारत का आंकड़ा देखा जाये तो प्रत्येक आयु वर्ग के व्यक्ति किसी ना किसी बीमारी से ग्रस्त है .

यदि कुछ निर्देशों को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बना लें तो अपने लक्ष्यों के साथ सेहत को भी संभाल लेंगे. 

1  सूर्योदय के पूर्व जागने का प्रयास करें .यह बहुत छोटा और सरल उपाय है सेहत को सुधारने के लिए. साश्त्रों में वर्णित है सूर्य की पहली किरण में बहुत सारि शक्तियां होती है जो हमें बिमारिओं से लड़ने में सक्षम बनाती है. 

2  तीस मिनट का व्यायाम प्रतिदिन करें. व्यायाम करने से शरीर के कोशिका रक्तधमनिआ मांसपेशी सुचारु रूप से काम करने में सक्षम होती है .शरीर का रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है. 

3  अपनी खान पान को संयमित करें .अक्सर खाना तो खा लेते हैं लेकिन खाने का पोषक तत्त्व नहीं मील पाता है .जिसका कारन है की खाने को अच्छी तरह से चबाते नहीं हैं .खाना हमेशा ताजा खाएं .खाना खाने के एक घंटा बाद पानी पियें जिससे खाना पचने में आसानी हो  

4  खाना को अध्यात्म से जोड़ें. यानि खाना लेने से पहले एक मिनट रुक के अपनी सकारात्मक सोच से देखे  जैसे की इस भोजन को करने से मैं पूर्ण रूप से स्वस्थ होऊंगा. तत्पश्चात भोजन ग्रहण करें  सप्ताह के अंदर खुद फर्क महसूस होगा .


मानसिक सेहत और शारारिक सेहत आपस में एक दूसरे का पूरक है .जब हम दोनों को साथ ले चलते हैं तभी सही मायने में हम स्वस्थ हैं. 

अपनी सेहत के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करें. 

धन्यवाद

अगले ब्लॉग में फिर एक नये विषय के साथ आउंगी .

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टाइम मैनेजमेंट 

सेविंग टिप्स 

टीनेजर केयर्स 
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