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Sunday, November 18, 2018

सकरात्मक परिस्थिति कैसे बनाएं POSITIVE ENVIRONMENT

सकारात्मक परिस्थिति कैसे बनाएं 

मैं ज्योति एक बार फिर आप सबका अपने ब्लॉग पे स्वागत करती हूँ.
जब हम महिलाएं अपने रोजमर्रा के कार्य को छोड़कर कुछ नया करने की कोशिश करते हैँ या फिर यों कहें की जीवन रूपी यात्रा में अनेक परिस्थितियों का सामान हम सब को करना परता है.
कुछ परिष्तिथियाँ हमारे अनुकूल होती है तो कुछ प्रतिकूल, कुछ परिस्तिथियों को हम स्वतः संभाल लेते हैँ तो कुछ परिस्थिति. में ईधर उधर भटकने लगते हैँ. कभी कभी भटकाव इतना अधिक हो जाता है की हम सभ कुछ गवां बैठत्ते हैँ .
आज मैं इसी बिषय को ले उपस्थित हुई हूँ किसी भी परिष्तिथि को कैसे संभाले .
कोई भी परिष्तिथियाँ हमारे सामने यों ही नही आती है उसका ताना बाना कहीं ना कहीं हम खुद से ही बनाते हैँ .
अपने विचार से अपने बोल से व अपने करने के तरीके से .हाँ यह सही है की कभी कभी परिस्तिथियाँ हमारे पूर्व जन्म के कर्मों के फलश्वरूप भी सामने आती है .
गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है की कर्म से भाग्य बनता है .
अक्सर हम यही मानते हैँ की अपने जीवन यापन के लिए किया गया काम ही कर्म है.
ऐसा नही है जो हम सोचते हैं जो हम बोलते हैँ और जो करते हैँ वह सब हमारा कर्म ही तो है.
जब हम इन बातों को जान लेंगे और उसे अपने जीवन में उतारकर आगे बढ़ेंगे तब बहुत सारी परिस्थिति को स्वतः ही सुलझा लेंगे .
हर परिस्थिति में कुछ ना कुछ सकारात्मक पहलु होती है. हमें भले ही दिखाई ना दे जब हम अपना सोच सकारात्मक कर लेंगे अपनी भाषा को अपने अधीन रखेंगे और दूसरों के हित में काम करने लगेंगे तो बहुत सारी परिष्तिथियाँ अपने आप ही अनुकूल होने लगेगी.
इसके लिये निरंतर प्रयत्न करने की जरूरत है
धन्यवाद
अगले ब्लॉग में नए बिषय के साथ फिर उपस्तिथ होऊंगी
कृपया शेयर करना ना भूले .