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Sunday, January 27, 2019

TEENAGER CARES


कहिए कैसे हैं आप ? आज के भाग दौर और इंटरनेट के जमाने में यह पता ही नहीं चलता है की हमारे बच्चों के विचार हमसे कितने अलग हो जाते हैं .हाँ मैं बात कर रही हूँ किशोरावस्थ की जो TEENAGER के लिए एक ऐसा समय होता है जिसमें वो राष्ट्र के लिए वरदान साबित हो सकते हैं .

मैं ज्योति आपको एक नये ब्लॉग में स्वागत करती हूँ :

विषय है :-

किशोरावस्था में बच्चों की  देखभाल 

सभी का जीवन नवजात अवस्था से बुढ़ापा के बीच कई चरणों को छूता है .उस चरण का एक रूप है किशोरावस्था  जिसे टीनेजर भी कहते हैं .कोशोराबस्था जहाँ बच्चे नये नये अनुभवों को प्राप्त करते  है वहीँ माता पिता के लिये जिम्मेदारिओं का एहसास भी कराते  है .

अक्सर माता पिता इस अवस्था में अपने बच्चों से तालमेल बिठाने में विफल हो जाते हैं जिसका परिणाम परिवार व समाज के लिए घातक होता है .

किशोरावस्था  में मानसिक व शारीरिक दोनों स्तरों पर विकास देखने को मिलते हैं .बच्चों में नये नये ज्ञान का विकास एक सुखद अनुभूति दिलाता  है .बच्चे  अपने योग्यता के अनुरूप देश के विकास में अपना सहभागिता निभाने के लिए सजग हो जाते हैं .

हाँ कहीं कहीं बच्चों के  सोच व माता पिता के सोच में अलगाव देखने को मिलते हैं .यह सोच खाने पीने से लेकर पहनने ओढ़ने तक हो सकता है .यह भी संभव है की आपका बच्चा आपका COPYRIGHT बनने के लिए तैयार न हो .यह भी आस्चर्यचकित करने वाली बात नहीं है .हर बच्चा अपने आप में एक अलग शख्सियत का मालिक है .

इस  अवस्था में बच्चों को एक तानाशाह की जरुरत नहीं होती है .एक अच्छे दोस्त की जरुरत होती है जो बिना किसी शर्त के अपनाये .

कोशिश करें की आप अपने बच्चे का एक अच्छा दोस्त बने यदि माता पिता इस तरह के रिश्ते बनाने में कामयाब हो गये तो अपने परवरिश का एक बड़ा हिस्सा तय कर लिये .

अब यह समझने की कोशिश करते हैं की किशोरावस्था में बच्चों के साथ तालमेल कैसे बनाएं :-

1  अपने बच्चे को स्वीकार करना सीखें .स्वीकार उनके व्यबहार ,आदत और संस्कारों के साथ करें .जब हम किसी के  व्यबहार आदत और संस्कारों को अपना लेते हैं तो अबचेतन मन में उनके प्रति किसी प्रकार की उलझन नहीं होती है .फिर सही समय देखकर गलत आदतों पर बात करें .बताएं आप गलत नही हो ये आदत गलत है .बच्चा जरूर समझेगा .

2  एक अच्छा दोस्त बनने का प्रयत्न करें .इस अवस्था में एक अच्छे दोस्त की भूमिका ज्यादा महत्व रखती है .बात बात पर रोक टोक करना भी सही नतीजा नहीं देता है .अपने बच्चे को थोड़ा SPACE देने की कोशिश करें .

3  इस अवस्था में बहस करना भी आम बात होती है .जब आपका बच्चा बहस करे तो स्वयं धैर्य रखें बाद में उसी विषय वस्तु पर चर्चा करें .बच्चा जरूर समझेगा .

4  बच्चों पर विश्वास करें .विश्वास एक ऐसा  मजबूत एहसास है जो आपको बच्चों से जोड़े रखेगा .अक्सर माता पिता इसमे कमजोर होते हैं .जरा सी बात उनके विश्वास को डगमगा देता है .ऐसा ना करें .आपका विश्वास बच्चों के लिये नयी ऊर्जा का संचार करता है .

5  शब्दों की शक्ति .शब्दों की शक्ति से बच्चों को EMPOWER करें .आपका शब्द बच्चों के लिए रामवाण से कम नही होता .आप इस शक्ति से अपने बच्चे को जैसा चाहते हैं वैसा बना सकते हैं .अगर बच्चा किसी गलत व्यबहार का शिकार है आपके समझाने से नहीं समझता है तो बिना कुछ कहे  शब्दों की शक्ति से आप उन्हे संभाल सकते हैं .

बच्चों का ख्याल रखें बच्चे राष्ट्र का ख्याल रखेंगे .

धन्यवाद 

इसे शेयर करना ना भूलें .अगले ब्लॉग में नये विषय के साथ फिर उपस्थित होऊंगी .





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