हेलो दोसतो मैं जीतेन्द्र
ज्योति अपने पहले ब्लॉग में स्वागत करती हूँ विषय है नारी शक्ति
मुझे गर्व है नारी हूँ मैं
बचपन में मैं गुड्डे गुरिओं से खेली हूँ मैं
बावा के आंगन की खुशीआं हूँ मैं
अम्मा के आँचल का गहना हूँ मैं
भइआ के कलाई की राखी हूँ मैं
मुझे गर्व है नारी हूँ मैं
खुले आसमान में ुर्र सकती हूँ मैं
लहरों में थम सकती हूँ मैं
अंतरिक्ष में रुक सकती हूँ मैं
तलवार उठा लड़ सकती हूँ मैं
मुझे गर्व है नारी हूँ मैं
नया जीवन ला सकती हूँ मैं
हर रिश्ते संजो सकती हूँ मैं
ममता से भरा आँचल हूँ मैं
बाबा के बुढ़ापे का सहारा हूँ मैं
ठहराव नहीं अविरल हूँ मैं
मुझे गर्व है नारी हूँ मैं
शक्ति हूँ वरदान भी हूँ मैं
लक्ष्मी का अवतार भी हूँ मैं
दुष्टों का संघार भी हूँ मैं
कर्मों पे बलिदान भी हूँ मैं
घर घर पूजी जाती हूँ मैं
मुझे गर्व है नारी हूँ मैं !
धन्यवाद
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